अग्रसेन वंशावली / अग्रवाल वंश की उत्पत्ति / महाराज अग्रसेन का वंशवृक्ष /Agrasen Wanshawali/Agrawal wansh ki utpatti/Family Tree of Agrasen Maharaj
भूमिका:
कई बार मुझे यह विचार आता रहता था कि महाराजा श्री अग्रसेन के 18 पुत्रों के क्या नाम थे ? उनका वंश आगे कैसे बढ़ा ? कई साइट पर खोजने के बाद भी कुछ जानकारी नहीं मिली। अभी दीपावली की सफाई के दौरान मुझे एक पुराना छपा हुआ एक रंगीन वंश वृक्ष मिला। उसमें हिंदी और उर्दू लिपि में जानकारी दी गयी। चित्र का कागज काफी गल गया है। कई अक्षर भी अस्पष्ट हैं। वो किसने बनाया, किसने छपवाया आदि की जानकारी नहीं है। सब कुछ हस्त लिपि में लिखा हुआ प्रतीत होता है। ऐतिहासिक रूप से उसमें दी गई जानकारी कितनी प्रामाणिक है यह भी नहीं कहा जा सकता। उसे बनाने वाले ने किन तथ्यों के आधार पर बनाया बताना सम्भव नहीं। चूँकि यह छपी हुई अवस्था में है तथा रंगीन है इसलिए कम से काम 50 वर्ष से अधिक पुराना तो होगा ही. मेरा मानना है अन्य कुछ अग्रबंधुओं के पास इसकी प्रति अवश्य होगी।
मैंने इसे आधुनिक वंश वृक्ष के रूप में कम्प्यूटरीकृत किया है। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं इसे सभी के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ। जैसा कि मैंने ऊपर उल्लेख किया है हो सकता है कि अस्पष्टता के कारण कुछ नाम गलत लिखने में आ गए हों।
विवरण :
इसमें दी गई जानकारी के अनुसार श्री अग्रसेन महाराज के 18 पुत्रों के नाम और सम्बंधित गौत्र निम्नानुसार हैं -
1. पुष्पदेव गर्ग 2. गेंदुमल सिंघल 3. करणचन्द सिंघल 4. विलन्द्र गोवाल 5. मुनिपाल उर्फ़ कानकं कौशल
6. ढाउदेव ढासन 7. जीतजग जैंदल 8 . मंत्रपति मित्तल 9. सिंधापत गोयल 10. वीरभान बांसल
11. गोधर गौन 12. बासुदेव कासल 13. अमृतसेन मंगल 14. माधोसेन मधुकुल 15. इंद्रमल ऐरन
16. नारसिंह तांगल 17. ताराचंद तायल 18. तम्बोल तेंगल
उक्त विवरण में गौत्र के नाम उसी रूप में दिए गए हैं जैसे कि चित्र में लिखे गए हैं।
चित्र में लाल, हरे और पीले रंग का प्रयोग किया गया है। उसमे रंगों का कोड निम्नानुसार है :
लाल : देश वंशी हरा : विष वंशी पीला : ऋषि / गौत्र का नाम
महाराज अग्रसेन अपनी पुत्रों की संतानों को दो नामों से पुकारने लगे थे 1. जो देशी राजाओं की पुत्रियों की संतानों को देशवंशी 2. राजा वासक की पुत्रियों (नागकन्याओं) की संतानों को विष वंशी
शिक्षा की अवनति के कारण देशवंशी नाम बिगड़ कर देशे रहा जिसका बिगड़ कर दसे रह गया।
विषवंशी शब्द बिगड़ कर बिशे और फिर बीसे हो गया।
चित्र में दिए गए विवरण के अनुसार बंगाल के पाल वंश और सेन वंश भी अग्रवाल ही हैं। ओसवाल और गौतम बुद्ध भी अग्रवाल वंश से गए हैं।